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केदार नाथ को अपने बेटे समर की तान्या के साथ भागने की बात सुनकर बहुत बडा आघात पहुँचा। वह अपना यह दुःख किसे सुनाते।
केदार नाथ अपने आँसुँऔ को पौछते हुए अपनी पत्नी की फोटो के सामने पहुँचे और बोले," सुशीला देखले हमारे बेटे ने मेरे साथ क्या किया है। यदि वह उसको चाहता था तो मुझसे एकबार बात करके तो देखलेता। लेकिन उसने तो मुझे इस काबिल समझा ही नहीं। तेरे जाने के बाद मैने उसको माँ और बाप दोनौ का प्यार दिया था और यह कहते हुए वह अपने पिछले दिनौ की याद में खोगये।
आज उनकी पत्नी को स्वर्ग सिधारे हुए एक महीना होगया था। सभी रिश्तेदार अपने अपने घर को बापिस चले गये थे। अब घर में केवल तीन प्राणी थे। एक केदार नाथ एक उनका पाँच वर्ष का बेटा समर और उनकी बूढी़ माँ जि से दिखाई भी बहुत मुश्किल से देता था।
एक दिन उनकी माँ बोली," केदारा इस तरह कब तक चलेगा समर सुशीला तुझे सौपकर गयी है उसकी अमानत की रक्षा करना तेरा कर्तब्य है यदि समर परेशान होगा तब सुशीला की आत्मा भी परेशान होगी। अतः मेरी बात मानले और तू अपनी शादी कर ले। जिससे समर का पालन पोषण अच्छी तरह हो जायेगा। "
माँ की यह बात सुनकर केदारा भड़क गया और बोला," माँ एक ओर तो समर को सुखी रखने की कहती है और दूसरी ओर शादी करने की कहती है। आजतक किसी सौतेली माँ ने सौतेले बच्चौ को पाला हो नहीं माँ मुझसे दुबारा शादी की मत कहना। "
उसदिन के बाद उसकी माँने कभी भी शादी की बात नही ं की। और समर को केदार माँ की तरह लौरी भी सुनाता नहलाता स्कूल छोड़कर आता और अपनी दुकान भी चलाता। केदार ने समर को अच्छे स्कूल में पढा़या। कभी भी उसकी आँख में आँसू नहीं आने दिया।
समर भी पढ़कर एक अच्छा इन्सान बन गया वह अपने पापा को बहुत प्यार करता था।
परन्तु समर जबसे तान्या के प्यार में फसा वह अपने पापा को भूलने लगा। और एक दिन वह तान्या के साथ भागगया। केदार की तो दुनिया ही लुट गयी। वह अपना दुःख किसी को बताभी नहीं सकते थे।
एक बार तो उन्होने भी समर से अपना मोह तोड़ लिया परन्तु माऔर बाप दोनों होने के नाते उनका दिल नहीं माना और सोचने लगे कि नजाने समर कैसी हालत में होगा। उन्होंने पता लगाया कि वह कहाँ गया है तब उनके एक दोस्त सक्सैना का ही फौन आया कि समर कुछ पैसौ की हैल्प मांग रहा है उसको देदू क्या ?
दिल ने एक बार तो ना की परन्तु फिर हाँ करदी और अपने दोस्त के पास पैसे भिजवा दिये। इसी तरह वह दूर बैठे उसकी नकारते हुए भी हाँ कह देते थे। लेकिन समर उनसे नफरत करने लगा था। वह सोचता था कि उसके पापा के पास सब कुछ है परन्तु वह परेशान होरहा है।
वह इस डर के कारण उनके पास जाने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाता था कि कही वह उसे फटकार न दे। उसको यह भी नही मालूम था कि वह जो नौकरी कर रहा था वहभी उसके पापा ने ही अपने दोस्त सक्सैना से कहकर दिलवाई थी।
एक दिन ऐसा आया कि उसके पापा स्वर्ग सिधार गये तब उसके पापा के दोस्त सक्सैना ही उनके अंतिम संस्कार मे लेकर गये वह जाना नहीं चाहता था। तान्या तो आई ही नही।
जब सारा काम निपट गया । जब वह वहाँ से जाने को तैयार हुआ तब पापा के दोस्त ने उसको एक बैग व डायरी दी।
उसने जब वह डायरी पढी तब उसकी आँखौ से आँसू बहने लगे क्यौकि जिसदिन वह तान्या के साथ भाग कर गया था उस दिन उस डायरी मे लिखा था कि समर तू तू मुझसे तान्या के प्यार के विषय में एक बार बात करके तो देखता आज मेरी पच्चीस वर्ष की तपस्या मिट्टी में मिल गयी। तू क्या समझेगा जब तेरी माँ अन्तिम सांसें गिनरही थी तब उसने अपने कंगन हाथौ से उतारकर मुझे देते हुए कहा थाकि समर के पापा यह कंगन समर की बहू के हाथौ मे पहनादेना। अब मै उसको कैसे समझाऊँगा कि तेरे बेटे ने ये मौका दिया ही नही सुशीला मुझे छमा कर देना मै तेरा बायदा पूरा न कर सका।
उस डायरी मे उनके दोस्त के द्वारा दी गयी रकम का वर्णन भी था जो उसे नौकरी मिली थी उस दिन लिखा था आज मुझे कुछ चैन की नींद आयेगी क्यौकि आज समर अपने पैरौ पर खडा़ होगया है। यह मुझे सक्सैना ने बताया है।
केदार नाथ ने क्रोध के आवेश में सोचा था कि पूरी सम्पत्ति किसी ट्रस्ट को देदू परन्तु इस ना के पीछे समर के लिए प्यार छिपा था जो ऐसा कदम उठाने से रोकदेता था। अन्त में लिखा था कि इस बैग में तुम दोनौ के नाम से एफ डी है और पूरी सम्पत्ति के तुम दोनौ के नाम के कागज है ।
हाँ यह भी लिखा था कि अपनी पत्नी को कंगन अपनी माँ की तरफ से पहना देना वह भी इसी बैग में है।
समर डायरी को पढ़कर खूब रोया। सक्सैना ने उस चुप कराया और शहर जाकर तान्या को कंगन पहनाकर वह डायरी पढ़ने को दी जिसे पढ़कर वह भी रोने लगी थी।
आज की दैनिक प्रतियोगिता हेतु रचना।
नरेश शर्मा " पचौरी "
Gunjan Kamal
06-Dec-2022 02:19 PM
शानदार
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Mohammed urooj khan
01-Dec-2022 10:34 PM
👌👌👌👌
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